पुखता अर सफल प्रयोग : सांवर दइया री संवाद कथावां

भंवरलाल ’भ्रमर’
भंवरलाल ’भ्रमर'

राजस्थानी कथा जातरा में सांवर दइया री कहाणियां रो महतावू पख उणां री बणगट मानीजै। कथा री बणगट में आधुनिक जुगबोध अर आसै-पासै रा हालात, छोटे-छोटे संवादां सूं होळै-होळै सामीं आवता जावै। कथाकार चरित्र नै इण ढाळै परोटै कै बात मांय सूं बात निकळती जावै। आं बातां सूं केई-केई जाण्य-अणजाण्या मांयला-बारला दीठाव सामीं आवै, जिका खासो कीं कैय जावै। घर-गळी-गवाड़ अर समाज रै ओळै-दोळै रची-बसी ऐ कहाणियां राजस्थानी में साव नूंवी है। सांवरजी राजस्थानी कथा में केई प्रयोग कर्‌या, जिकां में एक पुखता अर सफल प्रयोग– संवाद कथावां मानीजै। जिकी घणी चावी अर चर्चित हुई। सांवर दइया री ओळखाण अर जस में घणो बधापो ‘गळी जिसी गळी’ कथा सूं हुयो, जिकी राजस्थानी री पैली संवाद कथा है। जिण में फगत शिल्प ई नुंवो नीं हो, शैली अर कथ्य में ई नवीनता ही। सांवरजी री आं कथावां सूं शिल्प, शैली अर कथ्य में आधुनिकता आई। संवादां में सहज कसावट रै इण रचना संसार सूं एक नूंवी जमीन बणी। राजस्थानी में सैक्स माथै जरा-सी बात करता ई परम्परावादी लोग नाक में सळ घालै, सूग करै। ‘भूख जिसी भूख’ कथा सूं  साबित हुवै कै आधुनिक विचार अर सैक्स सम्बन्धी इण ढाळै री बोल्ड कथा रो सिरजण राजस्थानी भाषा में इतो पुखता अर लयात्मक ढंग सूं फगत सांवर दइया जैड़ा कथाकार री सिरजण खिमता रै पाण ही हो सक्यो। ‘भुजा जिसी भुजा’ में भाई-भाई रै सम्बन्धां री मनगत अर हुवतै बदळाव रो खरो दरसाव राखिज्यो है। जिण नै घर-घर रो लेखो मान सकां। इण पोथी में सांवरजी री सगळी संवाद कथावां है। ऐ कथावां चौफेर फैल्योड़ी न्यारी-न्यारी अबखायां अर थोथ नै उजागर करै।
ओ आपरै ढंग-ढाळै रो पैलो संग्रह है, जिण मे फगत संवादां सूं कथा रो विगसाव हुयो है अर रचाव में सिरजण री न्यारी निरवाळी ओळखाण बणी है। राजस्थानी कहाणी में एक नुंवो मोड़ आं कथावां सूं सामै आवै।
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